Friday, November 25, 2022

कल से फिर

1.

कल फिर से,

इस दिन में,

सूरज ढलेगा।


कल फिर से,

इस घर में,

रोशनी बुझेगी।


कल फिर से,

इस दिल में सवाल उठेगा, 

फिर झूठी फ़िराक जगेगी।।


2. 

कल से फिर,

इस कमरे में,

एक फूल खिलेगा।


कल से फिर,

इस धरती पे, 

वो सूरज उगेगा।


कल से फिर,

ज़हन में चिराग जलेगा।  

और फिर, समर्पण की आग लगेगी ।।


No comments:

Post a Comment