इस दिल की बनावट है हीरे सी,
हर चेहरे में दिखता इसके - जीवन बहुरंगी ।
माला-सी ये नन्ही कविता मेरी,
इन भावनात्मक रंगों को - अपने शब्दों से पिरोती ।
पहनाती उनपे मेरे तर्क का गहना,
और संगवारी से कर देती है बयां ।
यह कविताएं ही तो हैं -
ये ही तो दे देती है - इस दिल को पनाह।
जाने कब मैं इन शब्दों को पिरोने के काबिल बना !
जरा सोचो - यह काबिलियत ही तो है इंसान होना ।।
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