कभी कल की संभावनाएं दिशा देती हैं
तो कभी,
बस आज की मदहोशी पनाह देती है
कभी पनाह ही काफी लगती हैं
और कभी,
जिंदगी आगे ढकेलना चाहती है
जीते रहना है मुझे गर,
तो समझना है बस की,
आज शाम यह क्या कहती है ।
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