अब पलाश के फूल का
बखत आ गया है,
आसमान नारंगी होने का बखत आ गया है,
अब होली खेलने का बखत आ गया है ...
रंग बरसाने का,
हल्ले का, सीनाजोरी का,
नटखट इरादों की बदमाशियों का,
अब बखत आ गया है ...
अब पलाश के फूल का बखत आ गया है,
और महफ़िल के मेरे दोस्तों,
अब तुम्हारे निकलने का बखत आ गया है ...
आसमान नारंगी होने का बखत आ गया है,
अब होली खेलने का बखत आ गया है ...
हल्ले का, सीनाजोरी का,
नटखट इरादों की बदमाशियों का,
अब बखत आ गया है ...
अब पलाश के फूल का बखत आ गया है,
और महफ़िल के मेरे दोस्तों,
अब तुम्हारे निकलने का बखत आ गया है ...
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