यह परीक्षा है या
है और कोई बात,
समय जाते ही कुछ रहता नहीं याद,सिर्फ बदन का दर्द और मन की थकान,
करती है दिन की कहानी बयाँ !
याद आती है आपकी
चेतावनी,
साधक के रास्ते हैं तुफान कई,
कचरे के मोल हैं यह मेरे सूखे आसूं,
मेरे अस्तित्व को मिटा दे मेरे गुरु !
मत कर मेरी चिंता,
न रख कोई बंधन,
कर दे उपयोग तू सभी तेरे साधन,
इस नासमझ को बस कर दे तू आबाद,
हर चोट इस अहम पर है तेरा आशीर्वाद !
समय जाते ही कुछ रहता नहीं याद,सिर्फ बदन का दर्द और मन की थकान,
करती है दिन की कहानी बयाँ !
साधक के रास्ते हैं तुफान कई,
कचरे के मोल हैं यह मेरे सूखे आसूं,
मेरे अस्तित्व को मिटा दे मेरे गुरु !
कर दे उपयोग तू सभी तेरे साधन,
इस नासमझ को बस कर दे तू आबाद,
हर चोट इस अहम पर है तेरा आशीर्वाद !
No comments:
Post a Comment