गहरे से गहरे गम का दुःख,
लोटपोट के हसने का सुख,
वही तो है...
फट के बिखर जाने की चाहत,
खुद में सिकुड़ जाने की आदत,
वही तो है...
अकेले में रह न पाने की फिकर,
समुन्द्र के शून्य में, हर डगर,
वही तो है ...
वही तो है |
नशे में फिर डूब जाने की
ललक,
खोजे हर घडी, जो शिव की झलक,
वही तो है...
गुप अँधेरे में खोने का डर,
उसकी चमक में मेरे नाच की लहर,
वही तो है...
महफ़िल में गुनगुनाने का
मज़ा,
सानिध्य में अकेलेपन की
सज़ा,
वही तो है...
तो क्या सोचता है मेरे दोस्त,
जरा दिल से मुस्कुरा तो दे मेरे दोस्त,
क्यूंकि –
इस बहके से रूठे दिल की,
मुस्कान के पीछे का जादूगर,
वही तो है...
PS- Penned on a Poornima night at Beachside. With Music and Loved ones around. Lost in the trance of a sensitive heart and
a relaxed body.
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