तू कर लेगा -
मत गिनवा गलतियाँ अपनी,
ना किसी काम के तेरे बहाने,
छोड़ यह सपने डरावने,
क्योंकि तुझे भी ये पता है की,
तू कर लेगा।
कल फिर शुरू करेगा,
उठेगा, झाड़ेगा, हसेगा
खुद कि सच्चाई को गले लगाएगा,
और फिर चल पड़ेगा।
क्योंकि तुझे ये पता है की,
तू कर लेगा।
भाईसाहब तू तो लिखेगा,
बारिश हो या नहीं, शब्दों की बाल्टी भरेगा,
ठोकेगा पत्थरों के मूँह को,
जब तक चट्टान से पानी नहीं बहेगा।
क्योंकि तुझे ये पता है की,
तू कर लेगा।
1 comment:
जानदार हैं ये पंक्तियाँ
संवेदनशील हैं लिखने वाला
मन्त्रमुग्ध करती हैं ये चुनोतियाँ
जैसे मदिरा की मधुशाला।
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