Thursday, September 21, 2023

इमली की चुस्की

वो इमली की चुस्की,
वो जीने की चाहत,
वो अपनों की जरूरत,
और मौत की फुसलाहट। 

आज ये सब लड़े थे,
इस बंद कमरे में,
इक सिकुड़ती रज़ाई के अंदर।
 
जब वास्तविकता के तूफ़ानी थपेड़े,
थक गए नाजुक उम्मीदों के आगे,
तब हुआ वही जो तय किया था उसने
 
इस मौत के शून्य में,
जाने कब हुई मेरी देवी प्रकट - 
एक इमली की चुस्की से,
उस टूटे शरीर में उसने भर दी ताकत। 
उन टूटे दिलों  में, बना ली अपनी बसाहट।। 


PS: Dedicated to all the caregivers out there. There is huge power in our hopes. Keep hoping. 




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