तू है कहीं।
मैं हूँ कहीं।
हमें तो बस है जोड़ती,
हवस मर मिटने की।
शब्द मेरे, या विचार तेरे,
क्या मायने?
प्रश्न तेरे, या उत्तर मेरे,
क्या मायने?
डर तेरे, या सपने मेरे,
क्या मायने?
क्या मायने की अलग है अपनी जिंदगी?
जब तू भी यहीं।
और मैं भी यहीं।
PS: We keep looking for friendships, often unseeing the people around.
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