Tuesday, February 6, 2024

शिकवा

क्या शिकवा करूँ मैं,

क्या शिकायत हो तुझसे -

जब बिन मांगे है दिया,

इतना तूने खुदसे।


क्या कष्ट, क्या डर जब तू उछाले,

कर दे मुझे आसमाँ के हवाले।। 


रोता जरूर हूँ कभी कभार -

रोता, जरूर हूँ कभी कभार,

थक के, तेरे बेमतलब खेलों से,

पर कैसे छोड़ूँ तुझपे भरोसा?

पर कैसे छोड़ूँ तुझपे भरोसा,

जब जिया हूँ तेरे ही कंधों पे ।।। 



No comments:

Powered By Blogger