तू पूछे ये कैसा पथ है,
मानों बस दर्द ही दर्द है,
हाँ, मज़े भी हैं, थोड़े बहुत,
पर क्यूँ होता इतना कष्ट है?
ऐ पगली दिल बिखर कर,
है पड़ा जरूर तेरा फर्श पे,
पर भरोसा तो रख तू मुझपे,
तुझे ले ही जाऊंगा मैं अर्श पे।।।
हैं ये कष्ट भी सभी तेरी ही गर्भ से,
देख जरा, कुछ और भी है इनमें,
ये कष्ट नहीं ये हैं खुशियों से भरे ताले,
सोमरस भी इनमें, थोड़ा सब्र बस तू रख ले,
जहरीली जलेबियों सा,
उलझा दिखता जरूर ये पथ तेरा,
हिम्मती तू सहज, थोड़ी उम्मीद तो रख,
यहाँ नहीं मैं छोड़ूँगा तुझे अकेला ।।।
मानों बस दर्द ही दर्द है,
हाँ, मज़े भी हैं, थोड़े बहुत,
पर क्यूँ होता इतना कष्ट है?
ऐ पगली दिल बिखर कर,
है पड़ा जरूर तेरा फर्श पे,
पर भरोसा तो रख तू मुझपे,
तुझे ले ही जाऊंगा मैं अर्श पे।।।
हैं ये कष्ट भी सभी तेरी ही गर्भ से,
देख जरा, कुछ और भी है इनमें,
ये कष्ट नहीं ये हैं खुशियों से भरे ताले,
सोमरस भी इनमें, थोड़ा सब्र बस तू रख ले,
जहरीली जलेबियों सा,
उलझा दिखता जरूर ये पथ तेरा,
हिम्मती तू सहज, थोड़ी उम्मीद तो रख,
यहाँ नहीं मैं छोड़ूँगा तुझे अकेला ।।।
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