तेरा सच अलग है,
मेरा अलग।
तेरी शिकायत मुझसे है,
मेरी शिकवा उससे है।
मेरा अलग।
तेरी शिकायत मुझसे है,
मेरी शिकवा उससे है।
तू सोचे, कुछ तेरे हिसाब से है नहीं,
मैं मानू जाल में फसा मैं भी यहीं।
तू सोचे तेरे साथ हो रहा है गलत,
मानूं गलती से ही रगड़ा जा रहा हूँ मैं भी।
तुझे दुख व्यक्त करने में रस है,
दुख भगाने की कोशिश मेरी चरस है।
तेरे इरादे तो हैं बिल्कुल सही,
मेरे सही इरादों से हासिल हो कुछ नहीं|
दुख भगाने की कोशिश मेरी चरस है।
तेरे इरादे तो हैं बिल्कुल सही,
मेरे सही इरादों से हासिल हो कुछ नहीं|
तेरे मन के राक्षस करे तुझे परेशान,
मेरा मन मुझे ही बना देता है हैवान।
तू सोचे तुझे समझ सके कोई नहीं,
मैं सोचूँ मैं समझूँ तुझे पर तू मुझे नहीं।
मेरा मन मुझे ही बना देता है हैवान।
तू सोचे तुझे समझ सके कोई नहीं,
मैं सोचूँ मैं समझूँ तुझे पर तू मुझे नहीं।
क्या गलत, क्या सही,
यह तो पता नहीं,
कब तक चलेगा सब,
कब तक चलेगा सब,
यह भी तो पता नहीं|
तेरा सच अलग है,
मेरा अलग।
शायद मंजिल भी हमारी अलग हों,
पर चलना तो है साथ ही|
क्यूंकि हमारी मंजिलों से पहले,
ना ये रास्ता खत्म होगा, ना ये जिंदगी।
तेरा सच अलग है,
मेरा अलग।
इन दोहरी सच्चाइयों की हैवानियत से,
हमें अब डरना है नहीं,
आखिर उसी की कृपा से हम हैं,
आखिर उसी की कृपा से हम हैं,
और है नहीं वो निर्दयी...
1 comment:
जिंदगी की सच्चाईयों को कितनी खूबसूरती से लिखा से लिखा है....सच यह तारीफे काबिल hai
Post a Comment