Thursday, July 25, 2024

नए पंख

 1.

माँ, ये क्या मुझे है हो रहा?

चलते हुए खो गया मैं रस्ता यहाँ - 

अब न राह दिखती, न है कोई सहारा, 

दिमागी बोझ से है कंधा झुक सा गया ...

2.

बेटा, ये क्या है तू कह रहा? 

गौर से तो देख तू जरा - 

डरावना भले, पर सुन्दर है तेरा जीवन सजा,

जमीन तो क्या, अब पूरा आसमान है तेरा ...


नया जरूर तू इन हवाओं में अभी,

सीखेगा इन्हें, भले नए हों नियम सभी,

तो खोज मत तू चलने का कोई नया सहारा,

ये बोझ है तेरे नए पंखो का ...


जब मिल सकता है तू रोज़ मुझसे बादलों के बीच,

उंचाई से डर के अपनी आँख न भींच,

चलने या दौड़ने का नहीं, समय है ये उड़ने का,

बहुत किया संघर्ष अब मस्त हो के पंख फैला ...  

 

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