Saturday, July 20, 2024

नटखट मस्तियाँ

जिस्म की चुस्कियां, मन की अठखेलियाँ,

अजब है तेरा,

क्षणिक आकर्षण को समर्पण,

हो तू नंगा, पर छोड़ मत  दर्पण ...

क्या है सही, क्या गलत,

ये तुझे ही है समझना,

जंगल है, यहाँ मार्ग कई,

पर ना है कोई अपना ...

जब जीवन लागे नीरस,

छाँव में दोस्तों संग जा हंस,

इस हंसी का सुख है अपना,

पर भूल से इसे परमानंद ना समझ ...  

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