मेरी हार को मेरी पहचान मत बना -
मैं जीतूँगा, बस तू देखता जा !
जंग जब खुद की खुद से हो,
थोडा वक़्त जरूर लगेगा,
अच्छे से समझने को -
क्यूंकि है जंग नहीं पर प्रेम मिलाप ये,
जिसमें जीवन की संभावनाएं खुद के अतीत से मिलें,
मिलन ये ऐसा की इसी में कई कहानियां गढ़ें-
है नायक या खलनायक, इसकी मत कर तू चिंता,
क्यूंकि क्या हार है क्या जीत, ये तो समय ही बताएगा,
अभी इन कहानियों का अंत न हुआ -
इसीलिए, मेरी हार को मेरी पहचान मत बना,
मैं जीतूँगा,
बस, तू देखता जा -
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