यह चाहत रो पड़ने की,
सम्बन्ध नहीं इनका सुख या दुःख से,
अपने झूठे अस्तित्व को संजोने वाला,
जो बिखरने से झिझकता है...
विनाश हो गया जो अपना माना था मैंने सारा,
टूट गयीं अहम की बनावटी इमारतें,
उनके टुकड़े भी मेरे आँसुओं में बह गए...
You ask how would I be,
If this day were to be my last?
I would,
Keep nothing back,
Would have fuelled everything,
Given all of me in the blast of
life...
I would,
Move past my feeble mind's, timid
excuses,
Wouldn't trade for anything,
That which is truly Divine...
I would,
Protect the flame within me,
Protect the fire, that burns my
mental shackles,
Allowing my surrender to the
infinite Universe...
I would,
Drop these colours of the ego,
In the Ocean of life, so vast,
Effortlessly surfing, on the waves of daunting tasks...
PS - Being in touch with one's own mortality, is the biggest blessing one can ask for.
क्यूँ आपको छोड़ आया हूँ,
मैं खुद पर न जाने कितना खफा हूँ...
इस शैतान को मैं मार डालूँ,
पर इन नादान बहानों से फिर से चूक जाऊं...
आ जाओ न मेरे संग आप फिर,
आपको कभी मैं भूल न पाऊं...
पर जब हो क्षण निर्णय का,
तब क्यूँ आपकी सीख को भुला देता हूँ ...
यह पुकार है इन सूखे
आसुओं की,
चीख है इस प्यासे जीवन की...
मत रहो इतना आप दूर मुझसे,
ठीक करो मुझे,
सिखा दो खुद तक पहुँचने के रास्ते...
दो सीख मुझे इन रास्तों पर चलने की...
थोड़ी हिम्मत,
और थोड़ा साहस भी...
PS - To all those who have guided me in this life and those before. Especially remembering Rishi Nityapragya ji
गहरे से गहरे गम का दुःख,
लोटपोट के हसने का सुख,
वही तो है...
फट के बिखर जाने की चाहत,
खुद में सिकुड़ जाने की आदत,
वही तो है...
अकेले में रह न पाने की फिकर,
समुन्द्र के शून्य में, हर डगर,
वही तो है ...
वही तो है |
नशे में फिर डूब जाने की
ललक,
खोजे हर घडी, जो शिव की झलक,
वही तो है...
गुप अँधेरे में खोने का डर,
उसकी चमक में मेरे नाच की लहर,
वही तो है...
महफ़िल में गुनगुनाने का
मज़ा,
सानिध्य में अकेलेपन की
सज़ा,
वही तो है...
तो क्या सोचता है मेरे दोस्त,
जरा दिल से मुस्कुरा तो दे मेरे दोस्त,
क्यूंकि –
इस बहके से रूठे दिल की,
मुस्कान के पीछे का जादूगर,
वही तो है...
PS- Penned on a Poornima night at Beachside. With Music and Loved ones around. Lost in the trance of a sensitive heart and
a relaxed body.
Rotating Duality of Life,
Karma burning,
At Cosmic speeds…
A moment has come,
Click! This is the moment to
Flip.
Let go of the run,
Let the Flying begin.
Gracefully pull up the karmic
load,
Consistently dissolve the self...
सुनानी किसको है साहब,
अपनी इस बेसुरी आवाज़ को,
बस मन है की,
इस दिल में छुपे अँधेरे
को आवाज़ दूँ...
किसी मंजिल के
लिए नहीं,
हर दिन चलने की चाहत से करते हैं ...
किसी मतलब के लिए
नहीं,
संगीत तोह हम मोहब्बत के लिए करते हैं ...