Monday, April 11, 2022

अँधेरे की आवाज़

सुनानी किसको है साहब,

अपनी इस बेसुरी आवाज़ को,

बस मन है की,


इस दिल में छुपे अँधेरे को आवाज़ दूँ...

 

किसी मंजिल के लिए नहीं,

हर दिन चलने की चाहत से करते हैं ...


किसी मतलब के लिए नहीं,

संगीत तोह हम मोहब्बत के लिए करते हैं ...




2 comments:

Unknown said...

शानदार बेहतरीन जबरदस्त बहुत जबरदस्त लिखते है सर आप...🙏🙏

Hritvik Chaubey said...

Wonderful lines 🙏

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