Saturday, April 20, 2024

प्रतिबिंब

बेटा,
क्या चुकाने की बात तू है कर रहा?
मेरा प्यार था वो, मेरे अपनों के लिए,
कोई क़र्ज़ नहीं, जिससे पा सके तू छुटकारा। 
 
किस समय की तू है गिनती कर रहा?
ये साथ था जो, लगे कुछ सालों का ये,
पर था, आदि से अनंत तक का।

मुझसे जन्मा, है मुझ में ही तुझे मिटना,
जब ख़ुद ही माना तूने देवी मुझे,
तो यह कैसे हिसाब में तू लग गया?

बेटा,
नहीं कुछ गया है, है नहीं तू अकेला,
ल तू अब मेरे दिये पथ पे,
बिन डर, झिझक के, बहुत दूर अभी है चलना।
 
हर स्वास जीवन है, इसे ख़ुशी से है जीना,
मैं आयी इस अंधेरे में लौ जलाने,
अब इस दिये को तुझे है अखंड बनाना।
 
बहुत हुआ, छोड़ ये सवाल बेमतलब के,
चाहे मिलना मुझसे 
तो बस आँख भर बंद कर ले।
 
और बेटा,
कहीं और नहीं, तुझ ही में है प्रतिबिंब मेरा।।

No comments:

Powered By Blogger